चमकी बुखार के लक्षण, उपचार एवं बचाव !
चमकी बुखार, इस खतरनाक बीमारी से बिहार में सैंकड़ो बच्चों की मौत हो चुकी है I यह बुखार एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण बच्चों में हो रही है, इस सिंड्रोम के कारण बच्चे के खून में ग्लूकोज और सोडियम की कमी हो जाती है I इसमें न्यूरोलॉजीकल विकार के कारण मस्तिष्क और लिम्बिक सिस्टम प्रभावित होता है जिसके कारण शरीर में प्रवेश कर जाते है I भारत और यूएस की संयुक्त टीम ने मुज़फ्फरपुर (बिहार) में इस बीमारी का प्रमुख कारण लीची फ्रूट माना है, लीची फल में पाया जाने वाला जहरीला तत्व टॉक्सिन (methylenecyclopropylglycine, MCPG, also known as hypoglycin A) अगर बच्चा खाली पेट इसका सेवन कर लेता है या फिर इसका सेवन करने के पश्चात सो जाता है तो अगली सुबह वह गम्भीर रूप से बीमार हो जाता है I लीची फल में मौजूद टॉक्सिन जब बच्चे के शरीर में प्रवेश कर जाता है तो बच्चे के शरीर में ग्लूकोज की मात्रा तेजी से कम होने होने लगती है जिसका असर बच्चे के मस्तिष्क पर पड़ता है और दिमागी बुखार हो जाती है तथा बच्चा कोमा में चला जाता है I
चमकी बुखार कौनसे मौसम में होती है? यह बीमारी ज्यादातर गर्मियों के दिनों (मई से जुलाई) में होती है I इन दिनों में अत्यधिक गर्मी पड़ती है और सूर्य की किरने सीधा शरीर को हीट करती है जिसकी वजह से शरीर में पानी की कमी होने लगती है और बच्चा बुखार की चपेट में आ जाता है I
चमकी बुखार के लक्षण क्या हैं?
- इस बीमारी में बच्चा ज्यादा देर तक रोता है, उल्टी, ऐठन और बेहोश हो जाता है I
- तेज बुखार के साथ दौरे आते है और रोगी कोमा में चला जाता है I
- रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है और गर्दन अकड़ जाती है
- समय के साथ सरदर्द बढ़ता जाता है और सुस्ती छाई रहती है I
- जबड़ो को दबा लेता है I
- पूरे शरीर में दर्द होने लगता है I
- लगातार उल्टी होती है I
- ठीक से दिखाई नही देता है I
- चमकी बुखार बच्चों में क्यों होती है?
इस बीमारी के सर्वाधिक शिकार कुपोषित बच्चे होते है क्योंकि इन बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इन बच्चों में शुगर रिजर्ब न के बराबर होता है I ये बच्चे अत्यधिक गर्मी और हीट वेव को भी सहन नही कर पाते है जिसके कारण शरीर में पानी की कमी होने लगती है और बच्चे जल्दी ही हाइपोग्लाइसीमिया के शिकार हो जाते हैं I हाइपोग्लाइसीमिया के कारण बच्चा बेहोश हो जाता है
चमकी बुखार से बचने के उपाय:-
इन्सेफेलाइटिस से बचाव के लिए आप निम्न उपाय अपना सकते है –
- रात को सोने से पहले बच्चे को खाना जरुर खिलाए I
- अपने आस-पास गंदगी न रखे I
- मच्छरों से बचाव लिए उचित प्रबन्ध करे I
- बरसात के मौसम में खानपान का विशेष ध्यान रखे I
- साफ-सथुरा पानी पीए I
- गंदा और संक्रमित पानी न पीये I
- भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचे
- घर के कमरों में शुद्ध हवा की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए I
- रोगी की देखभाल करने वाले व्यक्ति अपने मुँह पर रुमाल का प्रयोग करे ताकि संक्रमित होने से बचा जा सके I
इस बीमारी का असर 10 साल तक के बच्चों में अधिक हो रहा है। इस बीमारी में शुरूआती 4 घंटे गोल्डन ऑवर होते है I इस अवधि में बच्चे को ओआरएस और ग्लूकोज का घोल पिलाते रहे ताकि हाइपोग्लाइसीमिया का शिकार होने से बच सके I
इसलिए आप अपने बच्चों का पुरा ध्यान रखे ,कोई भी लक्षण नज़र आइऐ, शीघ्र अस्पताल पहुचे या अपने डाक्टर से संर्पक करे। बच्चे को खाली पेट बिल्कुल नही रखे I
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