कोलोस्ट्रम क्या है और क्यों जरूरी है ?
कोलोस्ट्रम वह पहला दूध है, जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के स्तनों में बनता है I यह गर्भावस्था के लगभग तीसरे से चौथे महीने में इसको बनाना शुरू कर देता है । कोलोस्ट्रम कुछ महिलाओं में एक पारदर्शी द्रव्य की तरह और कुछ महिलाओं में गहरा-पीला, गाढ़ा मलाईदार द्रव्य हो सकता है । बेहद आसानी से पचने वाला यह दूध, शिशुओं के शरीर को रोगों से बचाने में बेहद कारगर है। इसे लिक्विड गोल्ड ,सुपर मिल्क , सुपर फ़ूड , आदि नामो से भी जाना जाता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में कोलोस्ट्रम कहते है I
कोलोस्ट्रम क्यों जरूरी होता है ?
कोलोस्ट्रम बच्चें के जन्म के तुरंत बाद माँ ब्रैस्ट के द्वारा निकलना शुरू हो जाता है । औसतन महिलाए शिशु के जन्म के पहले 48 से 72 घंटों में, करीब 50 मिली. कोलोस्ट्रम का उत्पादन करती हैं I माँ के पहले गाढे पीले दूध को जिसे लिक्विड गोल्ड की उपमा दी गई है I यह रोगप्रतिकारकों से भरपूर है। इसमें प्रोटीन की भी उच्च मात्रा हाती है, लेकिन कार्बोहाइडे्रटस और वसा कम मात्रा में मौजूद होते हैं। यह आपके नवजात की रोग प्रतिरक्षण क्षमता विकसित करने में मदद करता है। यह पचने में आसान होता है जो शुरूआती काले मल (मिकोनियम) को बाहर निकालने में शिशु की मदद करता है। आपको यह जानकर आश्रय होगा की शिशु को इस पीले दूध को समय पर शुरू कर दिया जाये तो पूरी दुनिया में 20 % तक नवजात मृत्यु दर को कम किया जा सकता है |यानि की हर दिन लगभग 300 नवजात शिशुओं को सिर्फ इतना सा करने से बचाया जा सकता है तो इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोलोस्ट्रम कितना शक्तिशाली और जादुई प्रदार्थ है |
कोलोस्ट्रम के फायदे
शिशु को जन्म के तुरंत बाद माँ का गाढ़ा पीला दूध कोलोस्ट्रम पिलाने के अनेक फायदे जिसकी वजह से इसे अमृत से भी बढ़कर माना जाता है I
1.श्वेत रक्त कणिकाएँ ( White blood cells ) :- नवजात शिशु का शरीर जन्म के शुरूआती कुछ दिनों में अत्यंत सवंदंशील होता है और आसानी से खतरनाक कीटाणुओ के संक्रमण का शिकार हो सकता है I कोलोस्ट्रम में प्रचुर मात्रा में सफ़ेद रक्त कणिकाएँ और रोग प्रतिरोधक प्रदार्थ होते है जो शिशु को इन खतरनाक कीटाणुओं एवं वायरस से बचाता है | अगर शिशु को यह दूध सही समय पर नहीं मिला तो वह इन खतरनाक कीटाणुओं से संक्रमित हो सकता है , जिससे उसकी जान तक जा सकती है |
2. इम्युनोग्लोबुलिन (Immunoglobulins)
कोलोस्ट्रम में प्रचुर मात्रा में इम्मुनोग्लोबुलिन व एंटीबॉडीज होती है जो बेबी के इम्यून सिस्टम को बूस्टअप करते है और यहाँ तक कि इसी गाढ़े और पीले कोलोस्ट्रम में गाय के दूध की तुलना में 100 गुना ज्यादा एंटीबॉडीज मौजूद होती है।
3. pancreatic secretory trpsin inhibitor (PSTI) :- यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रदार्थ जिसका पता कुछ वर्षो पहले ही लगा है यह प्रदार्थ आपके शिशु की मुलायम एवं कमजोर आंतो के लिए मजबूत सुरक्षा कवच की तरह काम करता है साथ ही क्षतिग्रस्त आँतों को ठीक भी करता है | कोलोस्ट्रम में यह जादुई प्रदार्थ mature मिल्क की तुलना में 7 गुना से भी ज्यादा होता है |
4 . रेचक ( Laxative ) :- कोलोस्ट्रम laxative की तरह काम करता है और पाचन तंत्र को साफ करने में मदद करता है | इसके साथ ही कोलोस्ट्रम शिशु की आँतों को आगे आने वाले mature मिल्क के पाचन के लिए तैयार करता है |
5 . वृद्धि और विकास Growth and development :- कोलोस्ट्रम में प्रचुर मात्र में प्रोटीन्स, विटामिन्स , मिनरल्स और एंटीओक्सीडेंट होते जो शरीर के फंक्शन को संचालित करते है और बच्चे की वृदि एवं विकास में सहायता करते है I
6 . खाद्य एलर्जी से बचाता है ( Prevents food allergy ) :- कोलोस्ट्रम आंत के छिद्रों ( pores) को भरकर उसको सील कर देता है जिससे यह न केवल खाद्य एलर्जी से बचाता है बल्कि अस्थमा, खुजली व अन्य एलर्जी से भी बचाव करता है I
7 . पीलिया से बचाव ( Prevents from jaundice ) :- कोलोस्ट्रम बढ़े हुए बिलीरुबिन को पाचन तंत्र से बाहर निकालता है तथा पीलिया से बचाव करता है I
8 . आसानी से पचने वाला (Easily digestible ) :- शिशु की आँते शुरुवाती दिनों में बहुत ही नाजुक होती है थोडा सा भी भारी प्रदार्थ शिशु की आँतों के लिए नुकसानदायक हो सकता है जबकि कोलोस्ट्रम बहुत ही आसानी से पच जाता है जो कि आपके शिशु की नाजुक आँतों के लिए अत्यंत आवश्यक होता है I खासतौर से समय से पूर्व जन्में बच्चों में यह NEC नामक खतरनाक बीमारी जिसमे आँतों में खतरनाक स्थिति तक सुजन पैदा हो जाती है जिससे बचाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है I
9. शुगर लेवल कम होने से बचाता है ( Prevent hypoglycemia ) :- शिशु के जन्म के शुरूआती दिनों मे रक्त में शर्करा की मात्र कम होने की संभावना रहती है खासतौर से समय से पूर्व जन्म लेने वाले एवं कम वजन के शिशुओ में इसका खतरा ज्यादा रहता है जो खतरनाक भी साबित हो सकता है | कोलोस्ट्रम रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करता है और कम होने से बचाता है I
इन तमाम फायदों की वजह से ही कोलोस्ट्रम को लिक्विड गोल्ड एवं सुपर फ़ूड आदि नामों से जाना जाता है जो की कितना जबरदस्त प्रदार्थ है I परन्तु आश्चर्य की बात है कि भारत में इस लिक्विड गोल्ड के बारे में तरह तरह की भ्रांतिया है जैसे की माँ का पहला दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए इसे फेंक देना चाहिए I माँ का दूध ३-४ दिनों बाद ही आना शुरू होता है तब तक ऊपर का दूध देना चाहिए I स्तनपान से पहले बच्चे को शहद , घुट्टी या अन्य पदार्थ देना आदि I
परन्तु अब इन सब धारणाओं को बदलने का समय आ गया है कि कुदरत का बेमिसाल पदार्थ जो शिशु के लिए अमृत के सामान काम करता है जिसके अनेक फायदे है उसे फैंक दिया जाता है तथा इसका कोई महत्व नहीं समझता है I
इस लेख के माध्यम से मैं उन सभी महिलाओं से जो गर्भवती है और जल्द ही मासूम शिशु को जन्म देने वाली है उनसे अपील करता हूँ कि अपने शिशु को जन्म के एक घंटे के अन्दर ही स्तनपान करवाये I
तो आइये आज से एक मुहीम बना ले ....
माँ का दूध पहले घंटे में शुरू करना है
हर शिशु को कोलोस्ट्रम पिलाना है
और पहले 6 महीने शिशु को सिर्फ और सिर्फ माँ का दूध पिलाना है
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