सीलिएक बीमारी के लक्षण एवं बचाव के उपाय
सीलिएक क्या है- सीलिएक रोग वर्तमान समय में आम बीमारी बन चुकी है । पूरे विश्व में प्रत्येक 100 में से 1 व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है और भारत में लाखों लोग जिनमें अधिकतर बच्चे इस बीमारी से ग्रसित है परन्तु ताजुब की बात यह है कि उनमें से 90 प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं हो पाता है कि उन्हें यह बीमारी है । उत्तरी भारत में इस रोग का व्यापक प्रभाव है क्योंकि यहाँ खाद्य पदार्थ में गेहूं का इस्तेमाल अधिक किया जाता है इसलिए लोगों के मन में यह भ्रान्ति रहती है कि गेहूं अचानक कैसे दुश्मन कैसे बन गया ।
सीलिएक रोग क्या है और क्यों होता है? सीलिएक रोग पाचन क्रिया से सम्बन्धित एक बीमारी है । जो भोजन में मौजूद ग्लूटेन नामक प्रोटीन के प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (immune reaction) की वजह से होता है । यह प्रोटीन अमूनन गेहूं, राई और जौ में पाया जाता है । यह पदार्थ शरीर में जाने के पश्चात छोटी आंत की परतों को क्षति पहुंचाता है, जिसके कारण जल और पोषक तत्व का आंत द्वारा उचित अवशोषण नहीं हो पाता है । जिसकी वजह से बच्चे को दस्त लगना, उल्टी होना या पेट दर्द की समस्या होने लगती है ।
सीलिएक रोग के लक्षण क्या है- ग्लूटेन नामक पदार्थ शरीर में एक धीमे जहर की तरह काम करता है और बच्चे के पाचन तंत्र तहस-नहस कर देता है । सीलिएक रोग के कई लक्षण होते है जैसे
- भूख ना लगना
- कब्ज या बार बार दस्त होना
- पेट का फूलना
- वजन में गिरावट आना
- शारीरिक विकास नहीं होना
- खून की कमी हो जाना (एनीमिया होना)
- शरीर में ऐठन होना
- उल्टी व जी घबराना
- चिड़चिड़ापन होना
- मुँह में छाले होना
- हाथ और पैरों में सुन्न रहना
- सर दर्द होना
- बालों का झड़ना
- थकान महसूस होना
उपरोक्त लक्षण में से या तो बच्चे में सारे लक्षण दिखाई देते है या फिर कई बार कुछ लक्षण ही दिखाई देते है ।
सीलिएक रोग के कारण क्या है- सीलिएक रोग का मुख्य कारण यह है जब हमारे शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली ग्लूटेन नामक प्रोटीन (ब्रेड, पास्ता, बिस्कुट और अनाज में पाया जाता है) पर असाधारण रूप से रिएक्शन करना शुरू कर देती है । इस रोग में प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं को शरीर के प्रतिकूल समझने लगती है और उनके खिलाफ एंटीबॉडीज का निर्माण करने लगती है जो आंतो की आंतरिक झिल्ली को क्षतिग्रस्त कर देती है । परिणामस्वरूप आंत भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों को पचाने में असफल हो जाती है और सीलिएक रोग के लक्षण दिखाई देने लगते है ।
आनुवांशिक कारण: सीलिएक रोग परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी हो सकता है, अगर परिवार में माता-पिता या अन्य को दिक्कत है तो इसके होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है ।
सीलिएक रोग का पता कैसे लगाते है- सीलिएक रोग का पता लगाने के लिए खून की जांच की जाती है परन्तु कई बार जब खून की जांच से पता नही चलता है तो दूरबीन की सहायता है पेट में नली डालकर आँतों की ड्यूडीनल बायोप्सी की जाती है । सीलिएक रोग एक आनुवंशिक रोग है, यह परिवार के अन्य सदस्य को भी हो सकती है। सर्वे में पाया गया है कि हर 10 सीलिएक मरीजों में से एक के घर में उसके माता-पिता, भाई-बहन, बच्चों को भी सीलिएक रोग होने की संभावना है। इसलिये डॉक्टर घर के सब सदस्यों का tTG करने की सलाह देते हैं।
सीलिएक रोग के सही उपचार के लिए बायोप्सी करवाना अत्यंत ज़रूरी है। tTG टेस्ट के परिणाम कई बार ग्लूटेन की मात्रा किसी वज़ह से कम या ज्य़ादा आ सकती है, लेकिन बायोप्सी से सीलिएक रोग के बारे में अच्छी तरह से पता लगाया जा सकता है। क्योंकि सीलिएक रोग एक बार होने पर इसका जिंदगी भर परहेज़ रखना पड़ता है, इसलिए यह ज़रूरी है कि उसका निदान शत-प्रतिशत रूप से सही हो। याद रखें- बायोप्सी होने के पहले ग्लूटेन का सेवन बंद न करें अन्यथा बायोप्सी का परिणाम ठीक नहीं आता है ।
सीलिएक रोग से बचाव के उपाय: सीलिएक रोग एक आनुवांशिक बीमारी है जिसकी रोकथाम नहीं की जा सकती परन्तु कुछ सावधानियां रखकर इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते है जैसे ग्लूटेन का सेवन करने से परहेज करना परन्तु ग्लूटेन रहित उत्पाद का पता लगाना कठिन होता है इसके लिए आप निम्न खाद्य पदार्थ दे सकते है जो ग्लूटेन फ्री होते है-
- अनाज से बनी वस्तुएं
चावल,पुलाव, बाजरा, रोटी, जवार रोटी, बेसन,सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा,मक्का, साबूदाना, चिडवा, मुरमुरे ,मक्के का दलिया ,पोपकोर्न ,चना ,घर में बने बेसन की सत्तू एवं चावल के नूडल्स, राजमा, बाजरा व मक्के की राबड़ी पापड़ ,सभी प्रकार की दालें एवं सोयाबीन इत्यादि
- अल्पाहार एवं बेकरी फूड
घर में बने बिस्कुट जिसमें गेहूं के आटे की जगह चावल का आटा या कॉर्नफ्लोर | इडली, डोसा सांभर बड़ा, चिडवा का पोहा, आलू के कटलेट्स, भूनी हुई मक्की, भूना हुआ चना, चीला, बेसन के पकोड़े या पूड़ा इत्यादि |
- मिठाई एवं कन्फेक्शनरी
घर में बनी हुई आईसक्रीम, बिना आटे तथा मेदे की बनी मिठाइयाँ |
- ब्रेवरेज
दूध एवं मक्खन, कॉफ़ी, चाय, स्क्वैस, ताजा फलों का रस, घर का बना क्लीयर सूप, ताजा फल, दही लस्सी इत्यादि |
- अन्य प्रोसेस फूड
इडली, डोसा सांभर बड़ा (रवा डोसा नहीं ) काटेज, घर पर बनी साँस या टमाटर की साँस तथा घर पर तेल में बना अचार |
- अन्य रेसिपी
अखरोट के आटे एवं कॉर्न स्टार्च से बनी कोई भी चीज, चावल का आटा, टोपीका स्टार्च, सिंघाड़े के आटे की बनी कोई भी रेसिपी, प्याज, कोकोनट एवं पोपो सीड्स, बेसन के लेप से बनी कोई भी रेसिपी, दूध एवं दही की वस्तुएं, घर की बनी सब्जियां, मीट, अंडा, चिकन एवं मछली इत्यादि |
क्या नहीं लेना है:-
- अनाज से बनी वस्तुएं
गेहूं, सूजी, मैदा एवं जौ की बनी वस्तुएं जैसे – रोटी, पूड़ी, परांठा, नान, उपमा, दलियाँ, सेवियां इत्यादि |
- अल्पाहार एवं बेकरी फूड
ब्रेड, बर्गर, हाट डॉग, बिस्किट, कुकीज, खटाई, पेटीज, फेन, टोस्ट, केक, पेस्ट्री, नूडल्स, रस, मट्ठी, कटलेट्स, ब्रेड रोल इत्यादि |
- मिठाई एवं कन्फेक्शनरी
चोकलेट्स, मिठाईयां, मिक्स आइसक्रीम टॉफी एवं गोलियां (दूध व चोकलेट से बनी )
- ब्रेवरेज
डिब्बा बन्द कोई भी खाद पदार्थ जैसे –मिल्क पाउडर, कॉम्प्लान, बूस्ट, होर्लिक्स, बोर्न वीटा इत्यादि | चोकोलेट ड्रिंक्स, फ्लेवर्ड दूध, फ्लेवर्ड कॉफ़ी, डिब्बा बंद सूप, गाढ़ा सूप इत्यादि |
- अन्य प्रोसेस फूड
चीज (मोजेरेला )कॉर्न फ्लेक्स ,बाजार की सॉस, इंस्टेंट, करी, मिक्सचर, सफ़ेद विनेगर, म्योनिज, अचार (सफ़ेद विनेगर से बना ), बेक करने वाला पावडर से बनी कोई भी वस्तु |
- अन्य रेसिपी
कोई भी रेसिपी जो आटे, मैदा या ब्रेड के चूरे से गाढ़ी की हुई, किसी भी प्रकार के फूड पर आटेया ब्रेड के चूरे की परत या मिलावट |
गुरुद्वारा/मन्दिर का प्रसाद जैसे –हलवा, लड्डू एवं मिठाईयां आदि |
ग्लूटन बंद करने के पश्चात् कुछ हफ्तों में बच्चा बेहतर महसूस करने करने लगता है । उसका शरीर धीरे-धीरे अपनी उम्र के अनुसार चुस्त और मज़बूत हो जाता है ।
आँतों को जो नुकसान पहुँचा है, वह भी ग्लूटन खाना बंद करने के कुछ महीनों बाद ठीक होने लगता है । आँतों को पूरी तरह से ठीक होने में करीब दो साल लग सकते हैं।
लेकिन बच्चे को स्वस्थ्य बने रहने के लिए खाने में जिंदगी भर ग्लूटेन से परहेज़ बनाये रखना अत्यंत जरूरी है ।
अगर थोड़ी मात्रा में भी ग्लूटन का सेवन किया तो वो भी काफी हानिकारक हो सकता है । याद रखे ! ग्लूटेन युक्त पदार्थ (ब्रेड या बिस्किट) का छोटा सा अंश भी फिर से बीमारी को बढ़ा सकता है। इसलिए सीलिएक रोग में 100 प्रतिशत ग्लूटेन फ्री भोजन की सलाह दी जाती है ।
स्कूल में प्राध्यापक और शिक्षक को बच्चे की बीमारी के बारे में जरूर बताना चाहिए ताकि बच्चे के खाने के परहेज के बारे में उन्हें जानकारी हो सके ।
बच्चा ग्लूटेन मुक्त आहार शुरू करने के थोड़े हफ्तों या महीनों बाद बेहतर महसूस करने लगता है और वह भी बाकी बच्चों की तरह सभी गतिविधियों में भाग ले सकता है।
अगर आप बच्चे के साथ घर से बाहर जा रहे है या किसी होटल से खाना मंगवा रहे है तो पूरे परहेज के साथ खाना मंगवाये, क्योंकि होटल के खाने में ग्लूटेन को नियंत्रित रखना मुश्किल होता है, इसलिए बाहर खाने की आदत को सिमित रखें। जब भी बाहर जाएँ, तब पूरी सावधानी बरतें।
अगर ग्लूटेन को खाने में से पूरी रूप से हटा देते है तो tTG कुछ महीनों में कम होने लगता है और करीब 2 साल में सामान्य स्तर में आ जाता है। ग्लूटन मुक्त आहार बनाये रखना जरूरी है जिससे tTG सामान्य स्तर में बना रहे।
सीलिएक रोग से शरीर को कौनसे जोखिम हो सकते है: अगर सीलिएक रोग का उपचार पूरा नहीं लिया जाता है या असावधानी बरती जाती है तो कई प्रकार की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है:
- हड्डियों का कमजोर हो जाना
- कुपोषण
- लेक्टोज लेने पर दस्त होना
- तंत्रिका तंत्र का प्रभावित होना
- छोटी आंत में कैंसर होने का खतरा होना
सीलिएक रोग से घबराने की कतई जरूरत नहीं है । इस बीमारी से ग्रसित बच्चा भी नार्मल जिंदगी जी सकता है बशर्ते बच्चे के खाद्य पदार्थ से ग्लूटेन को दूर रखा जाये । हालांकि इस बीमारी को जड़ से तो खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक किया जा सकता है ताकि बच्चों का भविष्य सुनहरा बनाया जा सके ।
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